रसोई को डिजाइन करने के लिए 7 वास्तु युक्तियाँ

परिचय:

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जानेगे आपकी रसोई की डिज़ाइन कैसी होनी चाहिए ? क्यूंकि किचन आपके घर में एक ऐसा भाग है जो आपके खानपान से जुड़ा हुआ है इसलिए  किचन में वास्तु नियमों का पालन करने से आपके घर और किचन दोनों जगह में संतुलित और सकारात्मक वातावरण बन जाता है। आपको यह भी पता होगा कि रसोई घर का दिल होता है, जहां भोजन प्रेम और परिश्रम से तैयार किया जाता है जहां आपके  परिवार के सदस्य  और दोस्त एक साथ प्रेमपूर्वक खाना खाते  है। इसलिए किचन की उपयोगिता और बढ़ जाती है इसलिए किचन को वास्तु दोष से मुक्त रखना चाहिए,क्यूंकि वास्तु शास्त्र में, वास्तुकला का प्राचीन भारतीय विज्ञान है।

इसलिए इन वास्तु नियमों  का ध्यान देना चाहिए जैसे – रसोई का डिजाइन और लेआउट कैसा हो, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह को बढ़ावा देने का कार्य करता है। इसलिए अपने रसोईघर के डिजाइन में वास्तु सिद्धांतों को शामिल करके, आप एक ऐसा स्थान बना सकते हैं जो न केवल आपके भोजन का स्वाद बढ़ाता है बल्कि सद्भाव और प्रेम को बढ़ा के  आपके तन और मन को भी खुश रखता है।

किचन के लिए स्थान :

आप अपने किचन में इस बात की ध्यान दें कि किचन किस कंडीशन में है? उसका उसका लेआउट कैसा है? उसकी दिशा किस ओर है? क्योंकि वास्तु के अनुसार आपका रसोईघर का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए, इसके अतिरिक्त  अनियमित या विषम आकार के किचन  लेआउट से बचें, क्योंकि यह सब कारक  ऊर्जा असंतुलन पैदा कर सकते हैं। इसलिए वास्तु दोष रहित किचन का ही निर्माण और इस्तेमाल करें।

रसोई का लेआउट:

आप पहले यह सुनिश्चित करें कि रसोई का लेआउट कैसा है ? कहीं गलत दिशा  या कोने में तो नहीं बना है? क्योंकि रसोईघर का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। अनियमित या विषम आकार के रसोई लेआउट से बचें, क्योंकि वे ऊर्जा असंतुलन पैदा कर सकते हैं। इसलिए आपकी ये प्राथमिकता होनी चाहिए कि आपका किचन वास्तु दोष मुक्त हो।

चूल्हा या स्टोव रसोई किस कोण में हो, 

आपका चूल्हा या स्टोव रसोई के दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए क्योंकि यह स्थान अग्नि तत्व को दर्शाता है और ये भोजन  पकाने की प्रक्रिया में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। इसके अलावा ये सुनिश्चित करें कि बर्नर अच्छी कंडीशन का हो और इसे इस्तेमाल के बाद अच्छे से साफ करें। और इसके अतिरिक्त स्टोव को सीधे खिड़की के नीचे या मुख्य द्वार की सीध में रखने से बचें, क्योंकि इससे घर में वित्तीय स्थिरता का संकट आ सकता है।

सिंक प्लेसमेंट:

सिंक को रसोई घर के उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। यह स्थान पानी के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित करता है और समृद्धि और खुशहाली  को बढ़ावा देता है। सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह बनाए रखने के लिए सिंक क्षेत्र को साफ रखें और किसी भी रुकावट से मुक्त रखें।

 भंडार गृह :

 रसोई में उचित भंडारण यानी सामान के रखने का स्थान  बनाएं और बेवज़ह  सामान को वहां इकठ्ठा मत होने दें। जैसे utensils, cookware और सामग्री को भी उचित स्थान पर रखें । और पहुंच में आसानी के लिए cabinet और drawer का   सही तरीके से निर्माण कराए। अव्यवस्थित काउंटर टॉप्स से बचें, क्योंकि ये नकारात्मक की भावना पैदा कर सकते है जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।

रंग और सजावट :

रसोई की दीवारों को वास्तु के अनुसार पेंट करें। हो सके तो हरे, पीले, या मटमैले रंग का प्रयोग करें क्योंकि ये रंग आदर्श होते हैं,  इनकी विशेषता ये है कि ये रंग पोषण और शांति की भावना को बढ़ावा देते हैं। मतलब आप वो रंग इस्तेमाल कीजिये, जो प्रकृति से जुड़े है,  जिसमे पौधों या उनकी पत्तियों जैसे प्राकृतिक तत्वों को शामिल करें। जो आपको प्रकृति का अनुभव प्रदान करता है। और आपके घर में खुशहाली बनी रहेगी।

वेंटिलेशन और साफ-सफाई :

 किचन निर्माण के समय इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए  कि वहां ventilation की उचित व्यवस्था हो। ताकि कोई बदबू या दुर्गंध न पैदा हो, इसके लिए आपको exhaust fan या  chimney का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त किचन की साफ सफाई का भी  विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्यूंकि यह सब सावधानी आपके भोजन का स्वाद बढ़ाएंगे साथ में सकारत्मक ऊर्जा में वृद्धि का कार्य भी करते है।

रसोई के लिए वास्तु टिप्स पर निष्कर्ष:

यदि आप भी अपने किचन में  वास्तु नियमों का पालन करते है तो आपको अपने घर में भी सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा,  साथ में घर में प्रेम, सद्भाव और समृद्धि आएगी। इसलिए किचन की location, layout, cooking range, sink placement, storage, color ventilation, और साफ -सफाई  आदि का पालन वास्तु नियमों के अनुसार करना चाहिए। ताकि आप अपने घर में आनन्दपूर्वक रह सके। 

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